बेवक्त बेवजह बेसबब सी बेरुखी तेरी, फिर भी बेइंतहा तुझे चाहने की बेबसी मेरी
जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें, उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर। बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ, मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है। वो...
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