Two Line hindi Shayari

 जिसके नसीब मे हों ज़माने की ठोकरें,

उस बदनसीब से ना सहारों की बात कर।



बुला रहा है कौन मुझको उस तरफ,
मेरे लिए भी क्या कोई उदास बेक़रार है।




वो तेरे खत तेरी तस्वीर और सूखे फूल,
उदास करती हैं मुझ को निशानियाँ तेरी।


वह मेरा सब कुछ है पर मुक़द्दर नहीं,
काश वो मेरा कुछ न होता पर मुक़द्दर होता।


दिल को बुझाने का बहाना कोई दरकार तो था,
दुःख तो ये है तेरे दामन ने हवायें दी हैं।



मिल भी जाते हैं तो कतरा के निकल जाते हैं,
हैं मौसम की तरह लोग... बदल जाते हैं,
हम अभी तक हैं गिरफ्तार-ए-मोहब्बत यारों,
ठोकरें खा के सुना था कि संभल जाते हैं।


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