आखिरी ख़त

 


अब के पहले.. जो तनहा हुआ करता था

तो तुमसे बात किया करता था,

अब जो मैं बेवफा हूं, ऐसा तुम्हें लगता है

तो अब मैं तुम्हें याद किया करता हूं,

हां यह मेरी बदनसीबी है, हां यह जरूरी है

कि तुमसे दूर जा रहा हूं,

तुम्हें तो मिल गया होगा यह कहने को कि मैं बेवफा हूं

बस एक बात लिख रहा हूं, कि तुम जानती नहीं

कि मैं कैसे जी रहा हूं,

तुमसे प्यार नहीं करता हूं,

मैं हर बार कहता हूं, क्या तुम जानती हो कि एक आवाज के लिए,

मैं आज भी कितना बेकरार रहता हूं,

तुम मुझे भूल जाओ, यह तो कह दिया मैंने,

पर मैं कैसे जिऊंगा यह बता नहीं पाया,

वक्त और दुनिया की वह बातें जो तुम नहीं समझ पाती,

सो समझा नहीं पाया,

तुम्हारे बिना जीना आसान नहीं होगा,

पर मेरी मोहब्बत का तो कोई अंजाम नहीं होगा,

एक बात कहनी है,

मुझे तुम माफ मत करना,

मेरी कितनी भी याद आए मुझे तुम याद मत करना,

मेरी तुम बात मत करना,

मैं बेवफा हूं, मुझे बेवफा ही कहना

बस एक आखरी इल्तजा है कि तुम खुश रहना ,

यह आखरी खत है, जो जला रहा हूं,

तेरी खुशी की चाह का वह वादा मैं निभा रहा हूं,

मैं तुमसे दूर जा रहा हूं, मैं तुमसे दूर जा रहा हूं |


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